कॉलोनियों के दस्तावेज जमा होंगे: भूखंड रिकॉर्ड स्पष्ट करने की प्रक्रिया शुरू,पालिका ईओ ने कहा-आमजन की सुविधा के लिए उठाया कदम

ललित चावला बिजौलिया | 11 Nov 2025

भूखंड रिकॉर्ड स्पष्ट करने की प्रक्रिया शुरू,पालिका ईओ ने  कहा-आमजन की सुविधा के लिए उठाया कदम

बिजौलिया। नगर पालिका बिजौलिया द्वारा इन दिनों कस्बे की पांच कॉलोनियों के भूखंडों के दस्तावेज जमा कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस पहल का उद्देश्य कॉलोनियों में बढ़ते भूखंड विवादों का समाधान कर एक व्यवस्थित रिकॉर्ड तैयार करना है।

पालिका के अधिशासी अधिकारी पंकज मंगल ने बताया कि जानकी नगर, साधु सीताराम दास कॉलोनी, पथिक नगर-3, माणक मगरी आवासीय योजना एवं शिव नगरी में भूमि विवादों के हर सप्ताह एक-दो मामले पुलिस तक पहुंच रहे हैं। इन कॉलोनियों के नक्शे स्पष्ट नहीं हैं और पंचायत से भी संपूर्ण रिकॉर्ड प्राप्त नहीं हुआ है, जिससे विवादों की स्थिति बनी हुई है।

उन्होंने बताया कि कई बार एक ही प्लॉट पर दो लोगों के कब्जे की स्थिति बन जाती है, वहीं कई भूखंड मालिकों के पास पट्टों की जगह केवल रसीदें हैं। अधिकांश प्लॉट खाली हैं, जिससे यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किसका प्लॉट खाली है और किस पर निर्माण हो चुका है। कई जगह पुराने पट्टे रद्द किए गए हैं, जबकि उन्हीं भूखंडों पर अन्य लोगों के नाम से रसीदें काट दी गईं, जिससे भ्रम की स्थिति और बढ़ गई है।

पालिका द्वारा भूखंड मालिकों से 15 दिनों के भीतर अपने दस्तावेजों की डुप्लीकेट कॉपी, स्वयं प्रमाणित आधार कार्ड और मोबाइल नंबर सहित नगर पालिका में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। दस्तावेज संकलन के बाद रिकॉर्ड स्पष्ट किया जाएगा ताकि वास्तविक स्वामित्व का निर्धारण हो सके।

मंगल ने बताया कि जिन लोगों के पास विधिक पट्टा है, उन्हें ₹200 प्रति वर्गमीटर के हिसाब से रसीद काटकर पालिका का वैध प्रमाण पत्र दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति के पास 20×40 फीट (कुल 800 वर्गफीट) का वेध  पट्टा है, तो उसे लगभग ₹200 प्रति वर्गमीटर के हिसाब से (74.32 वर्ग मीटर) की करीब- करीब 15 हजार राशि जमा करानी होगी। यह दर बिजौलिया की न्यूनतम डीएलसी दर ₹2500 से काफी कम रखी गई है।

उन्होंने कहा कि पालिका की मंशा किसी को नुकसान पहुंचाने की नहीं है, बल्कि 90 प्रतिशत जनता को राहत देने की है। दस्तावेज जमा होने के बाद कॉलोनियों के प्रॉपर्टी विवाद काफी हद तक सुलझ जाएंगे और भूखंड मालिकों को भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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