बिजौलिया उपखण्ड विलोपन की संभावना के विरुद्ध जन आंदोलन: मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन, लोगों का फूटा गुस्सा
ललित चावला बिजौलिया | 18 Nov 2025
बिजौलिया। बिजौलिया उपखण्ड कार्यालय को मांडलगढ़ में विलय होने की संभावना को देखते हुए आज क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने इकठ्ठा होकर एसडीएम अजीत सिंह को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन देकर विरोध जतायाl
ज्ञापन में बताया है कि उपखण्ड, तहसील,उप तहसील,गिरदावर सर्किल एवं पटवार मण्डलों के पुनर्गठन संबंधी राज्य सरकार के पत्र के बाद बिजौलिया क्षेत्र में गहरी चिंता और आक्रोश व्याप्त है। राज्य प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन सलाहकार समिति द्वारा जारी इस पत्र में प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन हेतु मापदण्ड तय किए गए हैं। प्राथमिक जानकारी के अनुसार बिजौलिया उपखण्ड एवं तहसील इन मापदण्डों पर खरा नहीं उतर पाई है, जिस कारण इसे माण्डलगढ़ उपखण्ड एवं तहसील मुख्यालय में विलय करने की संभावनाएं व्यक्त की गई हैं।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और क्षेत्रवासियों ने इस प्रस्तावित विलय को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। अभिभाषक संघ के अध्यक्ष सुमित जोशी का कहना है कि वर्तमान उपखण्ड मुख्यालय के खत्म होने से न केवल आमजन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा,बल्कि प्रशासनिक कार्य भी गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
आमजन को बढ़ेगी परेशानी, बढ़ेगा खर्च
जनांदोलन का सपोर्ट कर रहे मांडलगढ़ के पूर्व प्रधान गोपाल मालवीय ने बताया कि उपखण्ड मुख्यालय के हटने से लोगों को रोजमर्रा के छोटे-छोटे सरकारी कार्यों के लिए भी माण्डलगढ़ बार-बार जाना पड़ेगा। इससे आने-जाने में समय और धन दोनों का नुकसान होगा।
प्रशासनिक कार्यों में बाधा,न्याय में देरी का खतरा
एडवोकेट सुनील सोनी का कहना है कि मुख्यालय दूर होने से राजस्व एवं प्रशासनिक कार्यों में देरी होगी,शिकायतों एवं न्यायिक मामलों के निस्तारण में विलंब बढ़ेगा,कानून-व्यवस्था के प्रबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।सरकारी योजनाओं से वंचित होने की आशंका भी हैl उपखण्ड व तहसील स्तर की कई जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने में ग्रामीणों को अनावश्यक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। मुख्यालय दूर होने से योजनाओं का समय पर लाभ भी नहीं मिल सकेगाl
क्षेत्रवासियों में व्यापक आक्रोश
बिजौलिया क्षेत्र में इस संभावित विलय के खिलाफ नाराजगी तेजी से बढ़ रही है। ग्रामीणों ने इसे जनविरोधी कदम बताते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि बिजौलिया उपखण्ड एवं तहसील को यथावत रखा जाए और स्थानीय जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाए। वहीं बिजौलिया में विभिन्न संगठनों और जनप्रतिनिधियों की बैठकों का दौर जारी है और उपखण्ड बचाओ की मुहिम लगातार तेज हो रही है।